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मंगलवार, 24 अगस्त 2010

kuch dard

कुछ दर्द उजागर होने दो

कुछ दर्द जिगर को सहने दो 


कुछ लफ्ज लबों से कह डालो 


कुछ लफ्ज नयन से कहने दो !


कुछ राज जमाना जान भी ले 


कुछ अंतर्मन मे  रहने दो


कुछ अश्क पलक पे रहने दो


कुछ भवसागर में बहने दो !


कुछ रोज यहाँ मर मर के जिए


कुछ पल उल्फत में जीने दो 


कुछ जफा के प्याले बिखरा दो 


कुछ जाम वफ़ा के पीने दो !!

5 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ जफा के प्याले बिखरा दो
    कुछ जाम वफ़ा के पीने दो !!
    --
    बहुत ही सार्थक और मन में आशा का संचार करती हुई रचना!

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीया राजेश कुमारी जी
    नमस्कार !
    बहुत अच्छी रचनाएं लगी हैं आपके ब्लॉग पर …

    कुछ लफ्ज लबों से कह डालो
    कुछ लफ्ज नयन से कहने दो !

    कुछ राज जमाना जान भी ले
    कुछ अंतर्मन मे रहने दो


    वाह ! वाह !
    बहुत बढ़िया …

    शुभकामनाओं सहित …
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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