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शनिवार, 28 मई 2011

विकसित देश

माननीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी की किताब इग्नाइटिड  माइंड ने वास्तव में मेरे मस्तिष्क को झकझोर दिया !उसी से प्रेरित होकर उस पुस्तक के भाव अपनी लेखनी के माध्यम से आप तक पंहुचा रही हूँ 
                         मन में गंगा हाथों तिरंगा 
                                    ये संकल्प दोहराना होगा  
                                   तोड़ निज स्वार्थ के घेरे 
                                   देश को सम्रध बनाना होगा !
                  देश के हर एक बच्चे में  
                  एक उद्देश्य  जगाना होगा 
                 उन्नत देश के स्वपन को 
                 अब साकार बनाना होगा  !
                                  राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में 
                                  अब परिवर्तन लाना होगा 
                                  देश की सेन्ये और तकनीकी सुरक्षा 
                                 को सुद्रढ़ बनाना होगा !
                जो तरु अब तक परदेश से लाते 
                अब अपने आँगन में लगाना होगा
               संगठित होकर २०२० तक भारत को 
               पूर्ण विकसित देश बनाना होगा !
                                 देश की सोई स्वर्ण चिडिया को 
                                 अपनी मेहनत से जगाना होगा 
                                 तोड़ निज स्वार्थ के घेरे 
                                 देश को सम्रध बनाना होगा !!    

20 टिप्‍पणियां:

  1. देश की सोई स्वर्ण चिडिया को
    अपनी मेहनत से जगाना होगा
    तोड़ निज स्वार्थ के घेरे
    देश को सम्रध बनाना होगा !! bahut achcha likha aapne desh ke baare main bahut achche vichaar.hamara desh phir se sone ki chidiya ho jaaye to kya baat hai.badhaai aapko.

    please visit my blog and feel free to comment.thanks.

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  2. देश की सोई स्वर्ण चिडिया को
    अपनी मेहनत से जगाना होगा
    तोड़ निज स्वार्थ के घेरे
    देश को सम्रध बनाना होगा !!

    बहुत सुन्दर आह्वान्………प्रेरित करती कविता।

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  3. I've read ignited minds thrice... that is really lovely book and it just infuses the fire back in you !!
    nice post.

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    अच्छी कामनाएँ की हैं आपने इस रचना में!

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  5. बहुत सुन्दर भावार्थ ।
    काश कि २०२० तक पूर्ण विकसित देश बना सकें ।
    लेकिन इससे पहले बढती आबादी पर भी अंकुश लगाना होगा ।

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  6. प्रेरक कविता,प्रेरक विचार. वाह.

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  7. देश के हर एक बच्चे में
    एक उद्देश्य जगाना होगा
    उन्नत देश के स्वपन को
    अब साकार बनाना होगा

    प्रभावित करती रचना .... सुंदर सन्देश सार्थक आव्हान लिए

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  8. देश की सोई स्वर्ण चिडिया को
    अपनी मेहनत से जगाना होगा
    तोड़ निज स्वार्थ के घेरे
    देश को सम्रध बनाना होगा !!
    जोश से लबरेज़ संदेश और ओज जगाती कविता बहुत पसंद आई!!

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  9. राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र मे अब परिवर्तन लाना होगा देश की सेन्ये और तकनीकी सुरक्षा को सुद्रढ़ बनाना होगा !
    प्रेरक कविता,प्रेरक विचार,बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  10. देश के हर एक बच्चे में
    एक उद्देश्य जगाना होगा
    उन्नत देश के स्वपन को
    अब साकार बनाना होगा !

    बहुत सुंदर ओजपूर्ण सार्थक सन्देश देती रचना.....

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  11. देश के हर एक बच्चे में
    एक उद्देश्य जगाना होगा
    उन्नत देश के स्वपन को
    अब साकार बनाना होगा ...

    ओजस्वी रचना ... सत्य कहा है ... आज की ज़रूरत है यदि देश को बचाना है ..... बहुत ही लाजवाब पंक्तियाँ है ...

    जवाब देंहटाएं
  12. जो तरु अब तक परदेश से लाते
    अब अपने आँगन में लगाना होगा
    संगठित होकर २०२० तक भारत को
    पूर्ण विकसित देश बनाना होगा !

    That is really the way to progress!!! Thanks for visiting my blog and for your kind words.... let's stay in touch! :-)

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  13. देश की सोई स्वर्ण चिडिआ को
    अपनी मेहनत से जगाना होगा
    तोड़ निज स्वार्थ के घेरे
    देश को सम्रध बनाना होगा !!

    ऐसी प्रतिज्ञा हम सबको करनी चाहिए और फिर उसे पूरा करने के लिए जी जान से जुट जाना चाहिए.

    सुंदर कविता सुंदर भाव. बधाई.

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  14. , ये पुस्तक मैंने भी पढ़ी है , बहुत ही शानदार है। आपके द्वारा प्रस्तुत कविता इन भावों को चार चाँद लगा रही है।

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  15. देश भक्ति भावना से भरी बहुत ही सुन्दर रचना!
    आभार !

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  16. देश की चिडिया सोई नहीं है, कहीं खो गई है, शायद मिल जाये,

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  17. बहुत सुन्दर और प्रेरक
    बहुत हि शानदार पस्तुति

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  18. राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में
    अब परिवर्तन लाना होगा ....

    बिलकुल सही कहा आपने ,,,
    ज़रुरत है कि अब वास्तिवकता से मुहँ
    मोड़ने की आदत को छोड़ दिया जाए ...
    आपके पवन भाव
    आपकी कृति में झलक रहे हैं .
    अभिवादन .

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